Advertisement

header ads
header ads

ई-कॉमर्स: ई-कॉमर्स के प्रकार, फायदे और घटक

हैलो दोस्तों हम आज इस आर्टिकल में काफी आसान भाषा में ई-कॉमर्स क्या है? इसके कितने प्रकार होते है, इसके क्या फ़ायदे और नुकसान है एवं साथ ही इसके घटकों के बारें में विस्तारपूर्वक पढेंगे, तो चलिए स्टार्ट करते हैं-

E-commerce full explanation with its types benefits and components

ई-कॉमर्स का मतलब क्या है?

ई-कॉमर्स दो शब्दो से मिलकर बना है E और Commerce, से। E–Commerce का फुल नेम इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स है। E का मतलब होता है Electronic Network अर्थात इंटरनेट और Commerce का मतलब होता है सामान / वस्तुओं अथवा सर्विसेज को पर्चेस करना और सेल करना। इस प्रकार ई-कॉमर्स का मतलब होता है कि इंटरनेट के जरिए वस्तुओं एवं सर्विसेज को पर्चेस करना और सेल करना। 

आज मार्केट मे ई-कॉमर्स की काफी बड़ी-बड़ी कम्पनियां है। जैसे की:- OLX, अमेजन, फ्लिपकार्ट, eBay, पेटीएम आदि। जो की नेट के जरिए कारोबार करने की फैसिलिटी देते है।हम अधिकतर सामान और सर्विसेज को सेल करने तथा पर्चेस करने के लिए ई-पेमेंट्स का उपयोग करते है 
जैसे:-क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग, ई-वॉलेट, आदि। 

E-Commerce के प्रकार

ई-कॉमर्स के 6 प्रकार है: B2B, B2C, C2B, C2C, B2A, C2A 

B2B [ बिजनेस टू बिजनेस ]
इस प्रकार के ई-कॉमर्स में सेलर और खरीददार दोनों बिजनेस आर्गेनाइजेशन होते है। अर्थात एक व्यावसायिक संगठन अपने उत्पाद को दूसरे व्यावसायिक संगठन को बेचती है।उदाहरण स्वरूप- एक मैन्युफैक्चरर अपना सामान थोक विक्रेता को सेल करता है और थोक विक्रेता उस सामान को रिटेलर को सेल करता है। यहाँ पर मैन्युफैक्चरर थोक विक्रेता और रिटेलर तीनों के अपने व्यवसाय है।
b2b e-commerce diagram
उपरोक्त चित्र एक B2B मॉडल है। इसमें तीन बिज़नेस है:- मैन्युफैक्चरर, थोक विक्रेता और रेटाइलर। मैन्युफैक्चरर के पास स्वयं की इंटरनेट साइट है जहाँ से थोक विक्रेता, मैन्युफैक्चरर से सामान खरीदता है।जब थोक विक्रेता सामान का आर्डर इंटरनेट साइट के जरिए देता है तो थोक विक्रेता को इंटरनेट साइट के जरिए आर्डर का पता चल जाता है एवं वह उस सामान को थोक विक्रेता को सेंड कर देता है। सामान मिल जाने के उपरांत थोक विक्रेता इस सामान को रिटेलर को सेल कर सकता है ऐसे बिजनेस मॉडल को B2B मॉडल बोलते है।

B2C [ बिजनेस टू कंज्यूमर ]
ऐसे ई-कॉमर्स मे आर्गेनाइजेशन अथवा कंपनी सीधे कंज्यूमर को अपना उत्पाद ऑनलाइन सेल करता है ये सबसे अधिक उपयोग होने वाला ई-कॉमर्स है। 
b2c e-commerce diagram
इसमें कस्टमर उत्पाद को ऑन-लाइन इंटरनेट साइट में देख सकता है और उसे आर्डर कर सकता है। कंपनी को आर्डर की सूचना मिल जाने के उपरांत कंपनी उत्पाद को सीधे ग्राहक को भेज देती है।
उदहारण:-अमेजन, फ्लिपकार्ट, मिंत्रा आदि। इनका यूज हम इन दिनों डेली लाइफ में करते है।

C2B [ कंज्यूमर टू बिजनेस ]
कंज्यूमर टू बिजनेस E-Commerce एक ऐसा ई-कॉमर्स है जिसमें कंज्यूमर जो है वह बिजनेस आर्गेनाईजेशन को उत्पाद या सेवा प्रदान करते है। यह B2C मॉडल का बिल्कुल उल्टा मॉडल है।
c2b e-commerce diagram
C2B में, कस्टमर अपने उत्पाद या सेवा को कंपनी को सेल करता है। उदाहरणस्वरूप यदि आप ग्राफ़िक डिज़ाइनर है तो आप अपने ग्राफिक्स को डिजाइन करके कम्पनियों को सेल कर सकते है।आप अपने ग्राफिक्स को फाइबर और फ्रीलांसर वेबसाइट्स के जरिए सेल कर सकते है। यदि कंपनी को आपके ग्राफिक पसन्द आये तो वह आपसे डायरेक्ट ही ग्राफिक खरीद सकते है।

C2C [ कंज्यूमर टू कंज्यूमर ]
इस प्रकार के ई-कॉमर्स में क्रेता और विक्रेता दोनों कंज्यूमर होते है। अर्थात एक कंज्यूमर अपने उत्पाद को दूसरे कंज्यूमर को इंटरनेट साइट के जरिए बेचते है।अर्थात् यदि आपके पास कोई उत्पाद है जैसे-कार, लैपटॉप, बाइक अथवा और इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि। तो आप इस सामान को दूसरे कंज्यूमर को इंटरनेट साइट के जरिए ऑन-लाइन बेच सकते है। उदहारण:- OLX, Quicker आदि इसके सरल उदाहरण है।
c2c e-commerce diagram
यहाँ ऊपर दिए गये चित्र में कंज्यूमर 1 और कंज्यूमर 2 है। इसमें कंज्यूमर 1 स्वयं के सामान को सेल करना चाहता है। अपने उत्पाद की डिटेल वह OLX इंटरनेट साइट में पब्लिश करता है। एवं कंज्यूमर 2 उस उत्पाद की डिटेल्स को इंटरनेट साइट में देखता है यदि उत्पाद वह लेना चाहता है तो वह कंज्यूमर 1 से सीधे कांटेक्ट कर सकता है। एवं इस प्रकार से वह उत्पाद बिक जायेगा। 

B2A [ बिजनेस टू एडमिनिस्ट्रेशन ]
बिजनेस टू एडमिनिस्ट्रेशन ई-कॉमर्स को बिजनेस टू गवर्नमेंट [ B2G ] ई-कॉमर्स भी बोलते है।
b2a e-commerce diagram
B2A में, बिज़नेस आर्गेनाईजेशन और गवर्नमेंट एजेंसी इंटरनेट साइट के जरिए जानकारी का आदान प्रदान करते है।

C2A [ कंज्यूमर टू एडमिनिस्ट्रेशन ]
कंज्यूमर टू एडमिनिस्ट्रेशन ई-कॉमर्स को कंज्यूमर टू गवर्नमेंट ई-कॉमर्स भी बोलते है।
c2a e-commerce in hindi
इसमें कंज्यूमर और गवर्नमेंट एजेंसी के मध्य जानकारी का आदान प्रदान इंटरनेट साइट के जरिए होता है। 

ई-कॉमर्स के फायदे 

ई-कॉमर्स के जरिए हम लोग स्वयं के व्यापार का लेन-देन नेशनल और इंटरनेशनल मार्केट तक कर सकते है।किसी उत्पाद को खरीदने से पूर्व हम लोग उस उत्पाद के बारे मे रिव्यु और कॉमेंट पढ़ के उस उत्पाद की क्वालिटी के सम्बंध में जान सकते है जिसके कारण हमे सामान को खरीदने में सरलता होती है।

ई-कॉमर्स का प्रयोग हम लोग 24 * 7 hour कर सकते है। ई-कॉमर्स मे सारा कार्य आर्गेनाइजेशन और कंज्यूमर के बीच होता है इसमें 3rd पार्टी की आवश्यकता नहीं पड़ती जिसका सीधा प्रॉफिट आर्गेनाइजेशन को होता है। घर बैठे-बैठे हम लोग कोई भी सामान ऑन-लाइन पर्चेस कर सकते है। हमें बाहर जाकर सामान पर्चेस करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।

ई-कॉमर्स के नुकसान

ई-कॉमर्स के लिए हाईस्पीड इंटरनेट की आवश्यकता पड़ती है कभी-कभी कम स्पीड की वजह से ई-कॉमर्स की इंटरनेट साइट काम नहीं करती। ई-कॉमर्स के लिए कंप्यूटर मोबाइल और इंटरनेट की नॉलेज होनी जरुरी है। जब हम लोग कोई सामान खरीदते है तो उस सामान को पहुंचने मे 2-3 अथवा इससे ज्यादा दिन लग जाते है। सिक्योरिटी को ध्यान में रखना पड़ता है। क्योंकि जब हम लोग ऑन-लाइन पेमेंट करते है तो सुरक्षा का होना जरुरी है अन्यथा अकाउंट चोरी अथवा हमारी इनफार्मेशन लीक हो सकती है। ई-कॉमर्स की जब कोई न्यू इंटरनेट साइट मार्केट मे आती है तो उस इंटरनेट साइट पर विश्वास कर लेना थोड़ा कठिन होता है। 

ई-कॉमर्स के घटक और उदाहरण 

ऑनलाइन शॉपिंग- ऑन-लाइन शॉपिंग ई-कॉमर्स बाजार का एक काफी बड़ा उदहारण है। क्योंकि ई-कॉमर्स बाजार मे ऑन-लाइन शॉपिंग का बहुत अधिक क्रेज है। ऑन-लाइन शॉपिंग मे हम लोग घर ऑफ़िस की छोटी से लेकर बड़ी चीज को सरलता से पर्चेस कर सकते है इसके लिए ऑन-लाइन शॉपिंग की बहुत कंपनियां है। जैसे- मिंत्रा, फ्लिपकार्ट, आदि। 

नेट बैंकिंग- नेट बैंकिंग को इंटरनेट बैंकिंग, ऑन-लाइन बैंकिंग भी बोलते है। नेट बैंकिंग हर बैंक द्वारा दी जाने वाली इस प्रकार की सर्विस है जिसके जरिये हम लोग घर या ऑफ़िस मे बैठे-बैठे इंटरनेट की हेल्प से अपने बैंक खाते को एक्सेस कर सकते है और पासबुक, ATM, मनी ट्रांसफर आदि सेवाओं को सरलता से पूरा कर सकते है।

इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट्स- जब हम लोग किसी वस्तु अथवा सामान को ऑन-लाइन खरीदते है तो उसके लिए हम लोग पेमेंट इंटरनेट के जरिए करते है। जिसे हम लोग इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट्स बोलते है। ये भुगतान हम क्रेडिट और डेबिट कार्ड अथवा और तरीकों से करते है। इलेक्ट्रॉनिक भुगतान करने के अलग अलग तरीके होते है। जैसे- Pre-Paid, Pay-Now, Pay-Later

ऑनलाइन टिकट- इंटरनेट के जरिए हम लोग किसी फिल्म शो अथवा किसी बड़े प्रोग्राम, क्रिकेट मुकाबले आदि के टिकट ऑन-लाइन खरीद सकते है।

दोस्तों, यदि आपके लिए यह पोस्ट पसंद आई है तो मुझे कॉमेंट के जरिए बताइए और इसे अपने मित्रों के साथ शेयर करें।  

Post a Comment

0 Comments