सेंट्रल गवर्नमेंट ने बुधवार को नई शिक्षा नीति (New Education Policy) को स्वीकृति दे दी। करीब 34 वर्ष बाद आई इस एजुकेशन पॉलिसी में स्कूल की पढ़ाई से लेकर हायर एजुकेशन तक बहुत से बड़े परिवर्तन किए गए हैं। चाइल्ड्स पर से बोर्ड एग्जाम का वजन नियंत्रित किया जाएगा तो हायर एजुकेशन के लिए भी अब केवल एक रेगुलेटर होगा। पढ़ाई बीच रास्ते में छूट जाने पर पूर्व की पढ़ाई खराब नहीं होगी। एक वर्ष की शिक्षा पूर्ण होने पर सर्टिफिकेट एवं दो वर्ष की पढ़ाई पर डिप्लोमा का सर्टिफिकेट दिया जाएगा। पीएम मोदी के निर्देशन में हुई कैबिनेट मीटिंग में इस न्यू पॉलिसी पर मुहर लगाई गई। इसमें वर्ष 2030 तक प्री-प्राइमरी से हायर सेकेंडरी तक 100 प्रतिशत और हायर एजुकेशन में 50 प्रतिशत प्रवेश दर प्राप्त करने की बात कही गई है। एजुकेशन पर सरकारी व्यय 4.43 प्रतिशत से इंक्रीज करके GDP का 6 प्रतिशत तक करने का टारगेट है।
यहां जानिए न्यू एजुकेशन पॉलिसी की 20 विशेष बातें, कैसे पूरी तरह परिवर्तित हो जाएगा स्कूल, कॉलेज आदि का एजुकेशन सिस्टम?
1). विद्यालयों में 10+2 खत्म, अब स्टार्ट होगा 5+3+3+4 फॉर्मेंट
अब विद्यालय के पहले पांच वर्ष में पूर्व-प्राथमिक विद्यालय के तीन वर्ष और क्लास फर्स्ट अन्य क्लास 2 समेत फाउंडेशन चरण सम्मिलित होंगे। इन 5 वर्षों की शिक्षा को एक न्यू पाठ्यक्रम रेडी होगा। अगले तीन वर्ष का स्टेज क्लास 3rd से 5th तक का होगा। इसके पश्चात 3 वर्ष का मिडिल स्टेज आएगा अर्थात 6th क्लास से 8th तक का स्टेज। अब छठी कक्षा से बच्चे को स्किल की या प्रोफेशनल एजुकेशन दी जाएगी। लोकल लेवल पर इंटर्नशिप भी आयोजित कराई जाएगी। फोर्थ स्टेज (क्लास 9th से 12th तक का) चार वर्ष का होगा। इसमें विद्यार्थियों को सब्जेक्ट चूज करने की फ्रीडम रहेगी। विज्ञान अथवा गणित के साथ फैशन डिजाइनिंग भी पढ़ने की फ्रीडम होगी। पहले क्लास फर्स्ट से 10th तक साधारण पढ़ाई होती थी। 11th क्लास से सब्जेक्ट चुन सकते थे।
अब तक सरकारी विद्यालय फर्स्ट क्लास से स्टार्ट होते हैं। मगर New Education Policy लग जाने के उपरांत पहले बच्चे को 5 साल के Foundation Stage से पास होना होगा। फाउंडेशन चरण के अंतिम दो वर्ष फर्स्ट क्लास और सेकंड क्लास के होंगे। पांच वर्ष के फाउंडेशन चरण के उपरांत बच्चा थर्ड क्लास में जाएगा। अर्थात सरकारी विद्यालयों में थर्ड क्लास से पूर्व बच्चों की खातिर 5 लेवल और बनेंगे।
5+3+3+4 की नई विद्यालयी शिक्षा व्यवस्था में पहले पांच वर्ष 3 से 8 वर्ष के बच्चों की खातिर, उसके बाद के तीन वर्ष 8 से 11 वर्ष के बच्चों की खातिर, उसके बाद के तीन वर्ष 11 से 14 वर्ष के बच्चों की खातिर एवं इस नई विद्यालयी शिक्षा व्यवस्था में सबसे आख़िर के चार वर्ष 14 से 18 वर्ष के बच्चों की खातिर फिक्स्ड किए गए हैं।
2). छठी क्लास से रोजगारपरक शिक्षा
New Education Policy को अन्तिम रूप देने के लिए बनाई गई कमेटी का संचालन कर रहे डॉ॰ कस्तूरीरंगन ने कहा, अब छठी क्लास से ही बच्चे को स्किल की या Professional Education दी जाएगी। लोकल लेवल पर इंटर्नशिप भी आयोजित कराई जाएगी। Vocational Education and Skill Development पर बल दिया जाएगा। नई शिक्षा नीति (न्यू एजुकेशन पॉलिसी) बेरोजगार पैदा नहीं करेगी। विद्यालय में बच्चे को जॉब के लिए ज़रूरी वोकेशनल एजुकेशन दी जाएगी।
3).10 वीं एवं 12 वीं की बोर्ड परीक्षा सरल होगी
दस वीं और 12 वीं के बोर्ड एग्जाम में बड़े परिवर्तन किए जाएंगे। बोर्ड एग्जाम के वर्चस्व को नियंत्रित किया जाएगा। कई महत्वपूर्ण सुझाव हैं। जैसे वर्ष में दो दफा परीक्षाएं कराना, दो भागों ऑब्जेक्टिव (वस्तुनिष्ठ) एवं नेरेटिव (व्याख्यात्मक) श्रेणियों में इन्हें विभाजित करना आदि। बोर्ड परीक्षा में प्रमुख जोर नॉलेज टेस्ट पर होगा जिससे कि विद्यार्थियों में रटने की आदत समाप्त हो। बोर्ड एग्जाम के प्रति छात्र सदैव दबाव में रहते हैं और अधिक अंक प्राप्त करने के चक्कर में कोचिंग पर डिपेंड हो जाते हैं। मगर फ्यूचर में उन्हें इससे निजात मिल सकती है। इस शिक्षा नीति में बोला गया है कि विभिन्न बोर्ड आने वाले टाइम में बोर्ड एग्जाम्स के प्रैक्टिकल मॉडल के लिए तैयार करेंगे। जैसे वार्षिक, सेमेस्टर एवं मोड्यूलर बोर्ड एग्जाम।नई पॉलिसी के अंतर्गत क्लास 3rd, 5th एवं 8th में भी परीक्षाएं होगीं। जबकि 10 वीं और 12 वीं की बोर्ड परीक्षाएं परिवर्तित स्वरूप में जारी रहेंगी।
4). 5th क्लास तक मातृ भाषा में पढ़ाई
न्यू एजुकेशन पॉलिसी (नई शिक्षा नीति) में पांच वीं तक एवं जहां तक पॉसिबल हो सके, आठ वीं तक मातृ भाषा में शिक्षा मुहैया कराई जाएगी।
5). विद्यालयों में इस प्रकार से होगा चाइल्ड्स की परफॉर्मेंस का मूल्यांकन
बच्चों के Report Card में परिवर्तन होगा। उनका तीन लेवल पर मूल्यांकन किया जाएग। एक खुद छात्र करेगा, दूसरा उसके सहपाठी एवं तीसरा उनका शिक्षक। राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र - परख बनाया जायेगा जो चाइल्ड्स के लर्न करने की सामर्थ्य का टाइम-टाइम पर टेस्ट करेगा। सौ प्रतिशत नामांकन के द्वारा बीच में पढ़ना छोड़ चुके करीब दो करोड़ चाइल्ड्स को फिर एडमिशन दिलाया जाएगा।
6). स्नातक में 3-4 वर्ष की डिग्री, मल्टिपल एंट्री एवं एग्जिट
हायर एजुकेशन सेक्रेटरी अमित खरे ने जानकारी दी कि नई शिक्षा नीति में Multiple Entry or Exit System (बहु स्तरीय प्रवेश और निकासी व्यवस्था) को लागू कर दिया गया है। आज के सिस्टम में यदि 4 वर्ष की इंजीनियरंग करने में छह सेमेस्टर पढ़ने के उपरांत किसी कारण से आगे पढ़ाई नहीं कर पाते हैं तो कोई भी उपाय नहीं बचता, मगर मल्टीपल एंट्री एवं एग्जिट सिस्टम में एक वर्ष के उपरांत सर्टिफिकेट, दो वर्ष के उपरांत डिप्लोमा एवं 3-4 वर्ष के उपरांत डिग्री प्राप्त हो जाएगी। यह विद्यार्थियों के हित में एक बड़ा निर्णय है। 3 वर्ष की डिग्री उन विद्यार्थियों के लिए है जिन्हें हायर एजुकेशन प्राप्त नहीं करना है एवं रिसर्च में नहीं जाना है। वहीं दूसरी ओर रिसर्च में जाने वाले विद्यार्थियों को चार वर्ष की डिग्री करनी होगी। चार वर्ष की डिग्री करने वाले विद्यार्थी एक वर्ष में M.A. कर पाएंगे। New Education Policy (NEP-2020) के अनुसार अगर कोई छात्र इंजीनियरिंग की पढ़ाई को 2 साल में छोड़ देता है तो उसे डिप्लोमा दिया जाएगा। इससे इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को बहुत बड़ी राहत प्राप्त होगी। 5 वर्ष का ज्वाइंट ग्रेजुएट-मास्टर कोर्स लाया जाएगा। M.Phil. को समाप्त किया जायेगा और पोस्टग्रेजुएट कोर्स में एक वर्ष के उपरांत पढ़ाई छोड़ने का ऑप्शन होगा। राष्ट्रीय सलाह योजना (National Advice Scheme) के जरिये टीचर्स का प्रमोशन (उन्नयन) किया जाएगा।
B.Ed चार वर्ष का होगा। चार वर्ष की B.Ed डिग्री 2030 से अध्यापक बनने की मिनिमम क्वालिफिकेशन होगी। नीति के मुताबिक, प्रोफेशनल स्टैंडर्ड्स की एनालिसिस एंड रिवीजन 2030 में होगा एवं इसके पश्चात प्रत्येक 10 साल में होगा। अध्यापकों को पारदर्शी एवं प्रभावकारी प्रक्रियाओं के द्वारा नियुक्त किया जाएगा। पदोन्नति प्रतिभा पर आधारित होगी। बहुत से स्त्रोत से टाइम-टाइम पर परफॉर्मेंस का मूल्यांकन किया जाएगा।
7). न्यू पॉलिसी में M.Phil. खत्म
देश में नई एजुकेशन पॉलिसी लग जाने के उपरांत अब विद्यार्थियों को M.Phil. नहीं करना होगा। एमफिल का पाठ्यक्रम न्यू एजुकेशन पॉलिसी में निरस्त कर दिया है। न्यू एजुकेशन पॉलिसी लग जाने के उपरांत अब स्टूडेंट्स ग्रेजुएशन, परास्नातक और तत्पश्चात सीधे Ph.D. करेंगे। चार वर्ष का स्नातक डिग्री कार्यक्रम फिर M.A. एवं उसके बाद बगैर M.Phil. के सीधा Ph.D. कर सकते हैं। न्यू एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत एमफिल के कोर्स को समाप्त करा गया है। इसे बड़ा चेंज समझा जा रहा है।
8). समाप्त होंगे यूजीसी, एनसीटीई एवं एआईसीटीई, बनेगी एक नियामक संस्था
UGC, NCTE एवं AICTE का युग समाप्त हो गया है। हायर एजुकेशन सेक्रेटरी अमित खरे ने जानकारी दी कि हायर एजुकेशन में एआईसीटीई, यूजीसी, एनसीटीई की जगह पर एक रेगुलेटर होगा। कॉलेजों को स्वायत्ता (ग्रेडेड ऑटोनामी) देकर 15 वर्ष में विश्वविद्यालयों से संबद्धता की क्रिया को पूर्णतया समाप्त कर दिया जाएगा।
9). कॉलेजों को कॉमन एग्जाम का ऑफर
न्यू एजुकेशन पॉलिसी के अंतर्गत हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स में एडमिशन के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर दिया जाएगा। यह इंस्टीट्यूट के लिए जरूरी नहीं होगा। नेशनल एग्जामिनेशन एजेंसी यह परीक्षा कराएगी।
10). विद्यालय में पूर्व प्राथमिक स्तर पर विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा
स्कूली शिक्षा के सचिव अनीता करवाल ने जानकारी दी कि विद्यालयी शिक्षा एवं उच्च शिक्षा में दस बड़े संशोधनों पर मुहर लगाई गई है। न्यू पॉलिसी में तकनीक के प्रयोग का खास ख्याल रखा गया है। प्री-प्राइमरी शिक्षा के लिए एक विशेष पाठ्यक्रम रेडी किया जाएगा। इसके अंतर्गत तीन से छह साल तक की उम्र के बच्चे आएंगे। वर्ष 2025 तक क्लास थर्ड तक के विद्यार्थियों में बुनियादी साक्षरता और अंकज्ञान को सुनिश्चित किया जाएगा। मिडिल कक्षाओं की शिक्षा पूर्णतया परिवर्तित हो जाएगी। क्लास 6th से 8th के बीच सब्जेक्ट्स की स्टडी होगी।
11). स्कूल-कॉलेज आदि की फ़ीस पर कंट्रोल के लिए तन्त्र बनेगा
अब हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स को ऑन-लाइन ऑटोमैटिक डिक्लेरेशन के बेस पर स्वीकृति मिलेगी। अभी मौजूद इंस्पेक्टर राज समाप्त होगा। अभी राज्य विश्वविद्यालय, केंद्रीय विश्वविद्यालय, प्राइवेट विश्वविद्यालय और डीम्ड विश्वविद्यालयों के लिए अलग अलग नियम हैं। फ्यूचर में सारे नियम एक जैसे बनाए जाएंगे। फ़ीस पर कंट्रोल रखने के लिए भी एक तन्त्र तैयार किया जाएगा।
12). राष्ट्रीय शोध संस्थान (एनआरएफ) की प्रिपरेशन
हर तरह के सामाजिक एवं वैज्ञानिक अनुसंधानों को राष्ट्रीय शोध संस्थान बनाकर कंट्रोल करा जाएगा। हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स को मल्टी सब्जेक्ट इंस्टीट्यूट्स में परिवर्तित किया जाएगा। 2030 तक हर डिस्ट्रिक्ट में अथवा उसके आस-पास एक हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट होगा। शिक्षा में प्रौद्योगिकी के प्रयोग पर बल दिया गया है। इनमें ऑनलाइन एजुकेशन का, क्षेत्र विशेष में प्रचलित भाषाओं में कंटेट रेडी करना, डिजिटल लाइब्रेरी, वर्चुअल लैब, स्कूलों, अध्यापकों और विद्यार्थियों को डिजिटल रिसोर्स से लैस कराने जैसी स्कीम सम्मिलित हैं।
13). स्कूल की पढ़ाई, हायर एजुकेशन के साथ खेती-किसानी की शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, कानूनी शिक्षा एवं टेक्निकल एजुकेशन जैसी वोकेशनल एजुकेशन भी न्यू एजुकेशन पॉलिसी के दायरे में होगी।
14). संगीत, कला, शिल्प, योग, खेल, सामुदायिक सेवा जैसे सारे सब्जेक्ट्स को सिलेबस में सम्मिलित किया जाएगा। इन्हें सहायक पाठ्यक्रम नहीं बोला जाएगा।
15). ऑन-लाइन एजुकेशन पर जोर
नए संशोधनों में तकनीकी और ऑन-लाइन एजुकेशन पर बल दिया गया है। लैपटॉप, कंप्यूटर एवं मोबाइल आदि के जरिए विभिन्न ऐप्लिकेशन का प्रयोग करके शिक्षण कार्य को दिलचस्प बनाने की बात कही गई है।
16). हर डिस्ट्रिक्ट में कला, कैरियर और खेल से संबंधित एक्टिविटीज में हिस्सा लेने के लिए एक स्पेशल बोर्डिंग स्कूल की फॉर्म में 'बाल भवन' बनाया जाएगा
17). अभी हमारे यहाँ डीम्ड यूनविर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज एवं स्टैंडएलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग अलग नियम हैं। नई शिक्षा नीति के तहत सबके लिए नियम समान होगा।
18). MHRD का नेम बदला
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) का नेम बदलकर एजुकेशन मिनिस्ट्री कर दिया है।
19). त्रि-भाषा सूत्र
स्टूडेंट्स को विद्यालय के सभी स्तरों पर एवं हायर एजुकेशन में संस्कृत को एक ऑप्शन के तौर पर चुनने का मौका दिया जाएगा। त्रि-भाषा सूत्र में भी यह ऑप्शन सम्मिलित होगा। इसके अनुसार, किसी भी स्टूडेंट पर कोई भी भाषा थोपी नहीं जाएगी। देश की और परंपरागत भाषाएं एवं साहित्य भी ऑप्शन के तौर पर मौजूद होंगे। विद्यार्थियों को 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' पहल के अंतर्गत 6-8 ग्रेड के समय किसी टाइम 'भारत की भाषाओं पर आधारित एक आनंददायक परियोजना या गतिविधि में हिस्सा लेना होगा। थाई, कोरियाई, जर्मन, फ्रेंच, पुर्तगाली, स्पैनिश, रूसी भाषाओं को सेकेंडरी लेवल पर उपलब्ध कराया जाएगा।
20). फॉरेन यूनिवर्सिटीज को इंडिया में कैंपस खोलने की इजाजत और छात्रवृत्ति के लिए पोर्टल का विस्तार
नई एजुकेशन पॉलिसी में विदेशी विश्वविद्यालयों को इंडिया में कैंपस खोलने की इजाजत मिलेगी। विशेषज्ञों का कहना यह है कि इससे इंडियन स्टूडेंट्स विश्व के सबसे बेस्ट इंस्टीट्यूट और विश्वविद्यालयों में दाखिला ले सकेंगे। उन्हें फॉरेन नहीं जाना पड़ेगा।
SC, ST, OBC एवं SEDGS विद्यार्थियों के लिए राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल का विस्तार किया जाएगा। NEP-2020 के अंतर्गत विद्यालय से दूर रह रहे करीब 2 करोड़ चाइल्ड्स को प्रमुख धारा में वापस लाया जाएगा।
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